भीमराव अंबेडकर
भीमराव अंबेडकर का भारत के आधुनिक इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान है। भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश में हुआ। भीमराव अंबेडकर को अपनी प्रारंभिक शिक्षा करने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा जिसमें प्रमुख समस्या छुआछूत थी। भीमराव अंबेडकर हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे जिसे उस समय अछूत माना जाता था। भीमराव अंबेडकर के परिवार के लोग काफी लंबे समय से ब्रिटिशईस्टइंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे । भीमराव अंबेडकर के पिता रामजी सकपाल भारतीय सेना के महू छावनी में कार्यरत थे। भीमराव अंबेडकर जी ने बचपन में मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की।
7 नवंबर 1900 को भीमराव के पिता रामजी सकपाल ने सातारा की गवर्नमेंट हाई स्कूल में अपने बेटे का नाम भिवा रामजी अंबेडकर लिखाया था। भीमराव बचपन का नाम भिवा था।
कुछ समय बाद भीमराव अम्बेडकर के पिता मुम्बई आ गए उस समय भीमराव अम्बेडकर जी 15 साल के थे ओर उनका विवाह नौ साल की रमाबाई से करा दी तब वे पाचवी कक्षा में थे। उन दिनों बाल विवाह का प्रचलन था
अंबेडकर की प्राथमिक शिक्षा सातारा के गवर्नमेंट हाई स्कूल से हुई थी जिसे अब प्रताप जी हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है 1900 में अंबेडकर जी ने अंग्रेजी की प्रथम क्लास में प्रवेश लिया और इसी दिन से उनके शैक्षिक जीवन की शुरुआत हुई। भीमराव के दादाजी केलूसकर द्वारा लिखी गई बुद्ध जीवनी अंबेडकर को भेंट की । जिसे पढ़कर भीमराव अंबेडकर जी ने पहली बार गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म को जाना और बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित हुए।
भीमराव अम्बेडकर का शिक्षा परिचय
भीमराव ने 1912 में बांबे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिकविज्ञान में बीए की शिक्षा प्राप्त की औरर गुजरात में बडौदासरकार के साथ काम करने लगे।
1913 में 22 साल की उम्र में अमेरिका चले गए ओर एम ए की उपाधि प्राप्त की । 1916 में भीमराव अम्बेडकर लंदन चले गए , उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से साथ अर्थशास्त्र में शोध किया
भीमराव अंबेडकर उस समय की सबसे बड़ी अछूत राजनीति की हस्ती बन चुके थे।
उन्होंने भारत में चल रही जाति व्यवस्था की आलोचना की। भीमराव अंबेडकर जी ने कांग्रेस नेता गांधी जी की कटु आलोचना की, अंबेडकर जी अंग्रेजी शासन की व्यवस्था से भी असंतुष्ट थे। उन्होंने अछूत समुदाय के लिए एक ऐसी अलग राजनीति की पहचान की वकालत की जिसमें कांग्रेस और अंग्रेजों का दखल ना हो । अगस्त 1930 के गोलमेज सम्मेलन में अंबेडकर जी ने भारत से भाग लिया। अंबेडकर जी ने गांधी जी द्वारा चलाए गए नमक आंदोलन की कटु आलोचना की।
भारत में बढ़ते दबाव को देखकर दिनाक 24 सितंबर 1932 को शाम 5:00 बजे येरवडा जेल में गए और यहां गांधीजी और अंबेडकर जी के बीच एक समझौता हुआ था जो बाद में पूना पैक्ट के नाम से जाना गया। इस समझौते में अंबेडकर ने दलितों को कम्युनल अवार्ड मिले पृथक निर्वाचन के अधिकार को छोड़ने की घोषणा की। लेकिन इसके साथ ही कम्युनल अवार्ड में मिली 78 आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ाकर 148 करवा ली। सुख के साथी दलित शिक्षक के लिए ज्यादा अनुदान की मांग की और सरकारी नौकरियों में दलितों को बिना किसी भेदभाव के भर्ती किया जाएगा इस तरह से अंबेडकर जी ने गांधीजी की जान बचाई
अंबेडकर जी का भारतीय संविधान में योगदान
15 अगस्त 1947 भारत स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने अंबेडकर जी को देश के पहले कानून एवं न्याय मंत्री के रूप चुना जिसे अंबेडकर जी ने स्वीकार कर लिया, 29 अगस्त 1947 को अंबेडकर को स्वतंत्र भारत के सविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। अंबेडकर जी बुद्धिमान विशेषज्ञ थे उन्होंने साठी देश के संविधान का पूर्ण अध्ययन भी किया था। अंबेडकर जी को भारत के संविधान के पिता के रूप में मान्यता प्राप्त है।
अंबेडकर जी ने संविधान के अनुच्छेद 370 का विरोध किया, जिसमें जम्मू कश्मीर को राज्य विशेष का दर्जा दिया गया था और जी से उनकी इच्छा के खिलाफ संविधान में शामिल किया गया था।
अंबेडकर जी एक सफल पत्रकार संपादक भी थे अखबारों के माध्यम से समाज में उन्नति होगी, पर उन्हें विश्वास था। वह आंदोलन में अखबार को महत्वपूर्ण मानते थे। भीमराव ने शोषितवर्ग एवं दलितसमाज के लिए जागृति लाने के लिए कई पत्र एवं पत्रिकाओं का संपादन किया।
1930 में जूतों के ऊपर होने वाले अत्याचार को प्रकट करने के लिए मूकनायक नामक पत्रिका का संपादन किया यह पत्रिका मराठी भाषा में थी। समता , जनता, प्रबुद्ध भारत और बहिष्कृत भारत नामक प्रमुख पत्रिका है।
भीमराव अंबेडकर जी ने अक्टूबर 1935 को नासिक के एक सम्मेलन में धर्म परिवर्तन करने की बात कही। हिंदू धर्म से खुश नहीं थे। उनका मानना था कि हिंदू धर्म में अंधविश्वास और आसमनता है। भीमराव अंबेडकर जी बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित थी उन्हें बौद्ध धर्म के तीन सिद्धांत बहुत पसंद थे। अपने अंतिम जीवन के समय में भीमराव अंबेडकर जी ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था।
अंबेडकर जी विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टर की उपाधि लेने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने तर्क दिया था कि औद्योगिकरण और कृषि विकास से भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी
अंबेडकर जी एक महान व्यक्ति थे उन्होंने भारतीय समाज में परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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